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ज्ञान, वैराग्य, धर्म, ऐश्वर्य, यश और श्री जिसमें नित्य निवास करते हैं वही भगवान कहलाते हैं – त्रिभुवन दास जी महाराज-

भिटहा स्थित “चतुर्वेदी विला” में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता- चतुर्वेदी परिवार ने कथाव्यास त्रिभुवन दास जी महाराज को पगड़ी पहना कर किया अभिनंदन- मुख्य यजमान चंद्रावती देवी के नेतृत्व में डा उदय प्रताप चतुर्वेदी, राकेश चतुर्वेदी, राजन चतुर्वेदी और रजत ने उतारी कथा व्यास की आरती

श्रीमद्भागवत में केवल भगवान ही प्रतिपाद्य हैं, भग छः होते हैं ज्ञान, वैराग्य,धर्म,ऐश्वर्य,यश और श्री ।यह जिसमें नित्य निवास करते हैं उसको ही भगवान कहते हैं । उन्हीं भगवान का प्रतिपादक होने के कारण इस पुराण का नाम भागवत है। उक्त उद्गार सोमवार को भिटहा स्थित “चतुर्वेदी विला” में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन सुनाते हुए कथा व्यास त्रिभुवन दास जी महाराज ने व्यक्त किया। कथा को आगे बढ़ाते हुए श्री दास जी महाराज ने कहा कि काल से अपवित्र भूमि, स्नान से शरीर, प्रक्षालन से वस्त्र, संस्कार से गर्भ, तपस्या से इंद्रियां यज्ञ से ब्राह्मण, दान से धन, संतोष से मन और आत्मज्ञान से आत्मा की शुद्धि होती है। कथा को गति देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण अपनी लीला के दौरान द्वापर में सबसे पहले पूतना का उद्धार करते हैं तो वहीं भगवान श्रीराम ने भी सतयुग में सबसे पहले ताड़का का उद्धार किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने आंख बंद करके पूतना का वध किया क्योंकि वह योगी हैं और
भगवान श्रीराम ने आंख खोलकर ताड़का का उद्धार किया क्योंकि वह मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रिभुवन दास जी महाराज ने बाल लीलाओं की श्रृंखला को आगे सुनाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जिन असुरों का बाल लीलाओं के दौरान वध किया वे कहीं न कहीं सार्वजनिक बुराइयों के परिचायक रहे हैं। आध्यात्मिक रूप से पूतना अविद्या (माया) है। शकटासुर जड़वाद, वकासुर दंभ,अघासुर पाप धेनुकासुर देहाध्यास, कालियानाग भोगशक्तिरूप विष है। इससे पहले जहां एक तरफ चतुर्वेदी परिवार ने कथा व्यास को पगड़ी पहना कर उनका अभिनंदन किया वहीं कथा व्यास त्रिभुवन दास जी महाराज ने जनार्दन चतुर्वेदी, जय चौबे, डा उदय प्रताप चतुर्वेदी, राकेश चतुर्वेदी, रत्नेश चतुर्वेदी, डा सत्यम चतुर्वेदी, दिव्येश और रजत को ताज स्वरूप पगड़ी पहना कर उनके यशस्वी जीवन का आशीर्वाद दिया। स्व पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की स्मृति में आयोजित कथा के दौरान गोमती चतुर्वेदी, सविता चतुर्वेदी, शिखा चतुर्वेदी, शरद त्रिपाठी, मायाराम पाठक, अभयानंद सिंह, प्रमुख प्रतिनिधि मुमताज अहमद, अजय पांडेय, निहाल चन्द पांडेय, प्रेम प्रकाश पांडेय, नितेश द्विवेदी, आशुतोष पांडेय, दिग्विजय यादव, बृजेश चौधरी, आनंद ओझा सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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