
ड्रग मुक्त जन अभियान” धनघटा तहसील के नाथनगर विकास खण्ड के महुली कस्बे के श्रेजा मैरेज हॉल पर प्रगति सेवा संस्थान के द्वारा प्रदीप सिसोदिया के संयोजन में एक बैठक आयोजित किया गया जिसमें समाज को ड्रग मुक्त(नशा मुक्त)बनाने का संकल्प लिया गया।
इस कार्यक्रम में आयोजक यूथ आइकन प्रदीप सिसोदिया ने अपने संबोधन कहा कि कोई भी व्यक्ति नशा नहीं करना चाहता ना ही अपने परिवार,समाज,देश को नशे में जाने देना चाहता है। लेकिन समाज में फैले इस बुराई में फंस रहा है। और अपना सर्वस्व बर्बाद कर रहा है।
युवा शक्ति देश की सबसे बड़ी पूंजी होती है। जो आज नशा के गिरफ्त में फंसती जा रही है। जिसे बचाने की आवश्यकता है। समस्या कितनी भी बड़ी हो उसका विकल्प नशा नहीं हो सकता है। कोई समस्या इच्छा शक्ति से समाप्त किया जा सकता है।
आज लोग सभी समस्याओं हेतु सरकार को जिम्मेदार और उसके समाधान का माध्यम मानते हैं। जबकि नशा सरकार नहीं संस्कार से समाप्त होगा।
प्रत्येक बच्चे के लिए उसका पिता उसका आदर्श हीरो होता है। जब पिता नशा करके घर जाता है। तो घर का माहौल अत्यंत तनावपूर्ण होता है। और घर का बच्चा धीरे धीरे कुंठित होने लगता है।नशा के कारण घरेलू हिंसा में बहुत बढ़ोत्तरी हुआ है।मार्ग दुर्घटनाएं और चोरी की घटनाएं भी नशा की वजह से बढ़ी हैं। आज युवाओं के साथ साथ युवतियां भी ड्रग की चपेट में आ रही हैं। जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है। नशा पाने के लिए लोग चोरी, छीनैती और मादक द्रव्यों का आदान प्रदान,देह व्यापार जैसी अपराधों में लिप्त हो रहे हैं।बहुत से परिवारों की पैतृक संपत्ति और व्यावसायिक संपत्तियां भी बिक्री हो गई,बहुत से बच्चों की पढ़ाई तो बेटियों के विवाह तक नहीं हो पा रहे हैं।होटलों में नशा हेतु युवाओं और युवतियों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है।
कुछ किट्टी पार्टी में मातृशक्तियों के भी नशे सेवन की सूचनाएं मिल रही है।
कॉलेजों के बाहर, चाय की दुकानों, रेस्टोरेंटों,और होटलों में भी नशा का व्यापार बड़े पैमाने पर होने लगा है।
समाज में नए धन्नासेठों द्वारा अपना स्टेटस दिखाने के लिए सामान्य पार्टियों में भी नशा का आयोजन कर समाज को दूषित किया जा रहा है।
हमारे समाज में धार्मिक आधार पर भी नशे को प्रतिबंधित किया गया हैl
हिंदू धर्म में नशे को तामसिक (अज्ञात या अंधकार), पाप कर्म और अनैतिक माना गया है। चेतना और शुद्धता, कर्म और स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव डालता है,
मनुस्मृति के 11 वे अध्याय,श्लोक 90 के अनुसार शराब प्रतिबंधित है।
ऋग्वेद में इसे सुरा(मादक पदार्थ) कहा गया है। और इसकी कड़ी निंदा है,
उपनिषद,छांदोग्य उपनिषद में शराब पीने को पंच महापातक(पांच सभी बड़े पापों) में से एक है।
गरुण पुराण में जो व्यक्ति शराब का सेवन करता है उसका अगला जन्म कुत्ते का होता है।
पुराणों की कथाएं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण नशा से केवल शारीरिक ही नहीं आध्यात्मिक बाधा भी डालती है!
इस्लाम धर्म में कुरान के सुरह अल_माईदा (अध्याय 5) आयत 90 में शराब और जुए से दूर रहने की सलाह दी गई हैl
सिख धर्म, गुरु ग्रन्थ साहिब में नशे को मनुष्य की बुद्धि को भ्रमित करने वाला और भगवान से दूर करने वाला बताया गया है।
सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने शराब और तंबाकू के सेवन पर पूरी तरह रोक लगा दी थी।
जैन धर्म में किसी भी तरह के नशे को महापाप माना गया है।
बौद्ध धर्म,में नशे को पंचशील के पांचवे नियम में कहा ने सीधे तौर पर शराब या नशीले पदार्थों के सेवन को प्रतिबंधित नहीं किया लेकिन कई जगहों पर नशीले पदार्थों को अनुमति नहीं दिया गया है।
यहूदी धर्म में भी शराब और नशे की चीजों को शक्त प्रतिबंधित किया गया है।यहां तक दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने भी नशा को मना किया है।
प्रशासन को ऐसी घटनाओं की अधिकांश जानकारी तक नहीं लग पा रही है।कानूनों में नशा कारोबारियों के विरुद्ध कड़ी सजा का प्रावधान नहीं होने की वजह से बहुत जल्द छूट जाते हैं। और अपना नशा का कारोबार पुनः प्रारंभ कर देते हैं।
हमारे देश में ऐसे कुरीतियों को धार्मिक और ना ही सामाजिक मान्यताएं थी। ऐसे कार्यों को करने वालों का समाज बहिष्कार और दंडित करने का कार्य करता था।
भारतीय समाज के जहां स्त्रियों की देवी के रूप में पूजा होती थी। वहीं आज नशा की वजह से स्त्रियां घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं। बूढ़े मां बाप को वृद्धाश्रमों में भेजा जा रहा है।
प्रदीप सिसोदिया ने बताया कि “ड्रग मुक्ति जन अभियान” कार्यक्रम के आयोजकों के अनुरोध पर जल्द ही संत कबीर नगर पुलिस द्वारा नशा के विरुद्ध जनपद स्तर पर हेल्प डेस्क नम्बर आवंटित होगा। जिस पर जनपद का कोई भी व्यक्त किसी भी ड्रग/नशा माफिया के विरुद्ध शिकायत कर सकेंगे। जिसकी जानकारी और पहचान पूर्ण रूप से गोपनीय रखा जाएगा। और उस शिकायत पर कार्यवाही जनपद मुख्यालय से पुलिस द्वारा किया जाएगा।
कालांतर में भारत पर आक्रांताओं की गुलामी ने हमारे धर्म, संस्कृति और समाज को विघटित करने का कार्य किया। जिसका दुष्परिणाम आज हमारा समाज भोग रहा है।युवाओं में नैतिक,शारीरिक और चारित्रिक शिक्षा का अभाव आधुनिक शिक्षा प्रणाली की वजह से हो रहा है। जिसका दुष्परिणम नशाखोरी,भ्रष्टाचार,चारित्रिक पतन जैसे व्यवसन ले रहे हैं।
अगर हमे अपने बच्चों,समाज और देश को इन कुरीतियों से बचाना है। तो अपने पुरानी संस्कृति को आत्मसात करते हुऐ नशेड़ियों और गलत कार्य करने वालों से बचना होगा। और उनका सामाजिक बहिष्कार के साथ उनके विरुद्ध जन अभियान चलाकर संवैधानिक तरीके से सजा दिलाना होगा।ऐसे दुष्चरित्रों से किसी भी प्रकार के संबंध और पारिवारिक रिश्ते को सुधार करते हुए आधुनिक ताकत मीडिया,सोशल मीडिया के माध्यम से जन अभियान चलाकर इनके ड्रग व्यवसाय को समाप्त करने तक संघर्ष हेतु एक लक्ष्य तय कर आप सभी संभ्रांत जनों और युवा साथियों का आह्वाहन करने आया हूं।

कार्यक्रम के समापन पर मातृशक्ति गुलनाज खातून (छात्रा विंदा पाल,उग्रसेन पाल महाविद्यालय)द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को नशा मुक्ति का शपथ दिलाया गया।
प्रदीप सिसोदिया के आह्वाहन पर सभी लोगों ने संकल्प लिया कि हम अपने घरों,प्रतिष्ठानों पर “हमे गर्व है। कि मेरा परिवार नशा मुक्त है का स्टीकर लगाएंगे।
प्रदीप सिसोदिया ने कहा कि शराब लाइसेंस की शुरुआत मुगल काल में 1613 ईस्वी में जहाँगीर ने ईस्ट इंडिया कंपनी को शराब की फैक्ट्री स्थापित करने का पहला आधिकारिक लाइसेंस दिया था। लेकिन यह केवल कंपनी के यूरोपीय कर्मचारियों के लिये था। आम जनता के लिये नही।
इस प्रकार, मुगलों ने पहला औपचारिक लाइसेंस दिया।परन्तु आधुनिक शराब‑लाइसेंसिंग की संरचना मुख्यतः ब्रिटिश‑काल के एक्साइज़ कानूनों पर आधारित है। जिसे स्वतंत्र भारत ने राज्य‑स्तर पर अपनाया और विस्तारित किया। प्रदीप सिंह का यह कहना कि “भारत आज भी अंग्रेजों के कानून को मानता है। कुछ हद तक सही है। आज के लाइसेंस नियमों की जड़ ब्रिटिश राज में है। जबकि मुगल काल का लाइसेंस केवल एक शुरुआती, सीमित प्रयोग था।
संबोधन में मुख्य रूप से मुख्य चिकित्साधिकारी राम अनुज कन्नौजिया (सीएमओ, संत कबीर नगर) ने नशे के विरुद्ध सरकार की योजनाओं पर प्रकाश डाले और आह्वाहन किया । नशे से दूर रहे तथा टॉल फ्री नंबर 14414 पर नशे और मानसिक परेशानी के सहयोग हेतु संपर्क करें।
मुख्य रूप से अम्बरीष पाल असद महताब,शायर,प्रवीण त्रिपाठी,आनंद पाल, गुलनाज खातून,रौनक खातून,दधीच पाल, दीपक अवस्थी, राजू गुप्ता, हेमंत चतुर्वेदी, डाo बालेंदु शर्मा, अजय सोनकर, नितेश श्रीवास्तव,सहित दर्जनों लोगों ने सभा को संबोधित किया, कार्यक्रम में 500 सौ से अधिक लोग भाग लिए, सभी वक्ताओं ने समाज में बढ़ रहे नशे के विरुद्ध चिंता व्यक्त करते हुए इसके प्रभावी रोक थाम के लिए इस ड्रग मुक्ति जन अभियान कार्यक्रम को सराहा और कार्यक्रम आयोजक प्रदीप सिसोदिया को अपना हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया।
सभी वक्ताओं ने कहा कि यह एक बहुत आवश्यक पहल है। इसमें हम सभी एक साथ भाग लेंगे और इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखेंगे।
