चतुर्वेदी विला” भिटहा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन संपूर्ण कथा की प्रस्तावना सुन विभोर हुए भक्त
– मुख्य यजमान चंद्रावती देवी सहित डा उदय प्रताप चतुर्वेदी एवम् राकेश चतुर्वेदी सहित परिजनों ने उतारी आरती
– स्व पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की स्मृति में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा

श्रीमद् भागवत विश्व का सबसे पवित्र, सात्विक और पौराणिक ग्रंथ हैं। श्रद्धा, संस्कार और समर्पण के मूल को आत्मसात करने वाले इस वैश्विक महा ग्रंथ के हर शब्द में सत्य ही समाहित है। श्रीमद् भागवत कथा भगवान के मुखारबिंद से निकली ऐसी ज्ञानधारा है जिसके 18 हजार श्लोकों में जन्म से मोक्ष का संपूर्ण रहस्य समाहित है। इस पुराण के पहले श्लोक की शुरुआत जहां “जन्म” शब्द से शुरू है वहीं आखिरी श्लोक “परम” शब्द पर समाप्त होता है। ऐसे में ईश्वर, सत्य और भागवत के अलौकिक मिश्रण के श्रवण से ही मानव जीवन को मोक्ष की प्राप्ति संभव है। उक्त उद्गार वृंदावन धाम से पधारे ज्ञान के मर्मज्ञ विद्वान त्रिभुवन दास जी महाराज ने गुरुवार को भिटहा स्थित “चतुर्वेदी विला” में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा के दौरान अपने मुखारबिंद से व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने श्रीमद् भागवत के मर्म को स्पष्ट करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा भगवान की वाणी है। इसमें सभी वेदों के सार के साथ ही गायत्री मंत्र की पौराणिकता भी समाहित है। इसकी प्रामाणिकता को वर्णित करते हुए कथा वाचक ने कहा कि जिस “धीमहि” शब्द का उल्लेख प्रभु की बाणी से हुआ है उसी अनमोल शब्द का प्रयोग गायत्री मंत्र में भी उल्लेखित है। कथावाचक श्री दास ने अपने प्रवचन में सत्य को ही ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताते हुए इसके दोनो स्वरूपों का भी वर्णन किया। इससे पहले कथा की मुख्य यजमान “चतुर्वेदी विला” की मुखिया चंद्रावती देवी के नेतृत्व में सूर्या ग्रुप के चेयरमैन डा उदय प्रताप चतुर्वेदी, एसआर के एमडी राकेश चतुर्वेदी, रत्नेश चतुर्वेदी ने कथा व्यास का तिलक और बांके बिहारी की आरती करके कथा का शुभारंभ कराया। कथा शुभारंभ के दूसरे दिन कथा स्थल पर भक्तों की भरी भीड़ नजर आई। कथा श्रवण के दौरान रत्नेश चतुर्वेदी, सूर्या ग्रुप की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सविता चतुर्वेदी, राजन इंटरनेशनल एकेडमी की मैनेजिंग डायरेक्टर शिखा चतुर्वेदी, दिव्येष चतुर्वेदी, रजत चतुर्वेदी, पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी पीजी कॉलेज के प्राचार्य वेद प्रकाश पांडेय, एसआर के एडिक्यूटिव डायरेक्टर मनोज कुमार पांडेय, दिग्विजय यादव, अभयानंद सिंह, आनंद ओझा सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
